Saturday, May 29, 2010

CID Shayari

काँटों सी चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाई..
काँटों सी चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाई....

Dr . सालुंके - "बॉस, तीन इंच है लाश पर पड़े घाव की गहरायी !!"

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