Sunday, May 30, 2010

CID Shayari

जीते रहने की सजा दे ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी, अब तो मरने की दुआ दे, ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी..
में तो अब उकता गया हूँ क्या येही है कायनात...
में तो अब उकता गया हूँ क्या येही है कायनात.........

दरवाज़े खुद बा खुद टूट जाते हैं जैसे ही पड़ती है दया की एक लात !!

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